जो कर सूरज निक्ल्या; तारे छुपे हनेर पलोआ; मिट्टी धुन्ध जग चानन होआ; कल तारण गुरु नानक आया! गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव की हार्दिक बधाई!
नानक नीच कहे विचार, वारेया ना जावाँ एक वार; जो तुध भावे साईं भली कार, तू सदा सलामत निरंकार। गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की हार्दिक बधाई!
मन में सींचो हर हर नाम अंदर कीर्तन होर गुण गाम, ऐसी प्रीत करो मन मेरे आठ पहर प्रभ जानो नेहरे, कहो गुरु जी का निर्मल बाग हर चरणी ता का मन लाग, नानक नीच कहे विचार वारिआ ना जावा एक वार, जो तुद भावे साई भली कार तू सदा सलामत निरंकार । गुरु नानक देव जी के गुरुपुरब की बधाई!
मन में सींचो हर हर नाम अंदर कीर्तन होर गुण गाम, ऐसी प्रीत करो मन मेरे आठ पहर प्रभ जानो नेहरे, कहो गुरु जी का निर्मल बाग हर चरणी ता का मन लाग, नानक नीच कहे विचार वारिआ ना जावा एक वार, जो तुद भावे साई भली कार तू सदा सलामत निरंकार। गुरुपुरब की हार्दिक बधाई!
एहा संधिआ परवाणु है जितु हरि प्रभु मेरा चिति आवै ॥ हरि सिउ प्रीति ऊपजै माइआ मोहु जलावै ॥ गुर परसादी दुबिधा मरै मनूआ असथिरु संधिआ करे वीचारु ॥ नानक संधिआ करै मनमुखी जीउ न टिकै मरि जमै होइ खुआरु ॥१॥ गुरुपुरब की हार्दिक बधाई!
प्रिउ प्रिउ करती सभु जगु फिरी मेरी पिआस न जाइ॥ नानक सतिगुरि मिलिऐ मेरी पिआस गई पिरु पाइआ घरि आइ॥२॥ गुरपुरब की शुभ कामनायें!
ੴ सतिगुर प्रसादि॥ नमसकारु गुरदेव को सति नामु जिसु मंत्र सुणाइआ। भवजल विचों कढि कै मुकति पदारथि माहि समाइआ। जनम मरण भउ कटिआ संसा रोगु वियोगु मिटाइआ। संसा इहु संसारु है जनम मरन विचि दुखु सवाइआ। जम दंडु सिरौं न उतरै साकति दुरजन जनमु गवाइआ। चरन गहे गुरदेव दे सति सबदु दे मुकति कराइआ। भाउ भगति गुरपुरबि करि नामु दानु इसनानु द्रिड़ाइआ। जेहा बीउ तेहा फलु पाइआ ॥१॥ गुरु नानक देव जी प्रकाश पुरब की आप सब को बधाई!
गुरमुखि धिआवहि सि अम्रित पावहि सेई सूचे होही ॥ अहिनिसि नाम जपह रे प्राणी मैले हछे होही ॥३॥ जेही रुति काइआ सुख तेहा तेहो जेही देही ॥ नानक रुति सुहावी साई बिन नावै रुति केही ॥४॥१॥ जो गुरमुख ध्यान करते हैं, दिव्य अमृत पाते हैं वो पूरी तरह शुद्ध हो जाते हैं, दिन रात प्रभु का नाम जपो तो तुम्हारी आत्मा भी शुद्ध हो जाती है, जैसी यह ऋतु है वैसे ही हमारा शरीर अपने आप को ढाल लेता है, नानक कह रहे हैं कि जिस ऋतु में प्रभु का नाम नहीं उस ऋतु का कोई महत्व नहीं है। गुरु नानक देव जी के प्रकाश पुरब की शुभ कामनायें!
तुधनो सेवहि तुझ किआ देवहि मांगहि लेवहि रहहि नही ॥ तू दाता जीआ सभना का जीआ अंदरि जीउ तुही ॥२॥ हे प्रभु जो लोग तुम्हारी सेवा करते हैं वो तुम्हें क्या दे सकते हैं, वो तो खुद तुमसे माँगते हैं; तुम सभी आत्माओं के महान दाता हो, सभी जीवित प्राणियों के भीतर जीवन हो। गुरु नानक देव जी के आगमन पर्व की शुभ कामनायें!