रोजी एक बदसूरत लड़की थी, उसका कभी कोई बायफ्रेंड नहीं बना. जिससे उसे बहुत टेंशन थी . तो वो मदद के लिए पंडित के पास गयी। पंडित उसे समझाने के लिए बोला - रोजी ,इस जन्म में तो तेरा कल्याण नहीं हो सकता, पर मरने के बाद तेरी सारी इच्छाएँ पूरी होंगी। रोजी बहुत खुश हुई और उसने मरने का फैसला किया और पास के ही फ्लाई ओवर से कूंद गयी, किस्मत से वो केलो से भरे एक ट्रक में गिरी और बेहोश हो गयी, जैसे ही उसे होश आना शुरू हुआ, उसने आस पास हाथ फिराया , मारे ख़ुशी के बड़बड़ाने लगी- एक एक करके आओ प्लीज एक एक करके...
राम चन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आयेगा ---- . . . . . . हफ्ता भर बंदा काम करेगा और हर त्यौहार संडे को आयेगा--
तम्बाकू की वजह से आदमी के कैंसर हो जाता है , . . . . . . . मगर दारू की वजह से आदमी डांसर हो जाता है.! 100 ग्राम अन्दर तो हम सिकंदर.!
टीचर: तुमने कभी कोई नेक काम किया है? पप्पू: हाँ सर.. एक बुजुर्ग आराम से घर जा रहे थे.. मैंने कुत्ता पीछे लगा दिया... जल्दी पहुँच गए..
जिस प्रकार वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते और नदियाँ अपना पानी स्वयं नहीं पीती, ठीक उसी प्रकार . . . . . . . . . . . . . . . . सरकारी स्कूलों के मास्टर अपने खुद के बच्चों को 'सरकारी स्कूल' में नहीं पढ़ाते ।
एक आदमी झूठ बोलने की वजह से काफी मशहूर हो गया। एक दिन वह किसी दूसरे शहर मे चला गया। एक अस्सी साल की बूढ़ी औरत को पता चला तो डरती हुई आयी और बोली: बेटा तुम ही दुनिया के सबसे झूठे व्यक्ति हो न... आदमी बोला : लोगों की बात को दफा करो... मैं तो आपको देखकर हैरान रह गया कि इस उम्र में ये हुस्न, ये रंग और ये दिलकशी ... . बूढी औरत (शरमाती हुई ): या अल्लाह ! लोग भी कितने जालिम है !! अच्छे भले सच्चे इन्सान को झूठा कहते हैं।
कौन कहता है कि सिर्फ मच्छर ही खून चूसा करते हैं; कभी रोमिंग में जाकर देखो... . . . . . . . . यह मोबाइल कंपनी वाले भी किसी से कम नहीं।
बीवी को अपनी पलकों पर बिठा लो; देकर खुशियाँ सारे ग़म चुरा लो; प्यार ऐसा करो कि सब देखते रह जायें; और पड़ोसन भी आकर कहे कि... . . . . . 'मुझे भी अपनी बीवी बना लो'।
जिस प्रकार वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते और नदियाँ अपना पानी स्वयं नहीं पीती, ठीक उसी प्रकार................सरकारी स्कूलों के मास्टर अपने खुद के बच्चों को 'सरकारी स्कूल' में नहीं पढ़ाते ।
एक बचपन का जमाना था, जिसमेंखुशियों का खजाना था.. चाहत चाँद को पानेकी थी, पर दिलतितली का दिवाना था.. खबर ना थी कुछसुबहा की, ना शामका ठिकाना था.. थक कर आना स्कूल से, पर खेलनेभी जाना था... माँ की कहानी थी, परियों का फसाना था.. बारिश में कागजकी नाव थी, हर मौसमसुहाना था..
'' कसम से सिर्फ दो सेकंड मे खुद के द्वारा किये हुए सारे पाप एक साथ याद आ जाते हैं... जब ... घर पहुँचते ही बीबी कहती हैं'' बैठो, मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं !