कल सैलून वाले की दुकान पर एक स्लोगन पढ़ा... "हम दिल का बोझ तो नहीं पर सिर का बोझ जरूर हल्का कर सकते हैं!"
एक महिला विधवा पेंशन का फार्म भरने गयी! अधिकारी: कितना समय हो गया है पति को गुज़रे? महिला: वो तो अभी घर पे हैं! अधिकारी: फिर फार्म क्यों भरने आयी हो? महिला: साहब, सरकारी काम में समय तो लगता है न! जब तक ये पेंशन लगेगी तब तक मर जायेगा वो!
कॉल लगने से पहले नेटवर्क वाले इतनी देर तक कोविड वाली कथा सुनाते हैं कि... . . . . शादी में बुलाने की कॉल, कनेक्ट होते-होते, बच्चे के मुंडन के न्यौते में बदल जाती है!
चेला: बाबा, इंसान अपने जीवन और भविष्य के बारे मे कब सोचता है? बाबा: जब उसका मोबाइल चार्जिंग पर लगा हो!
ये जो फैमिली ग्रुप में नॉनवेज मैसेज गलती से भेजने के बाद घुटने और कलेजे में सनसनी फील करते हो ना... . . . शास्त्रों में इसी को "भय" और "प्रलय का संकेत" कहा गया है!
अपनी किस्मत तो बचपन से ही झंड है! हमारे समय ना तो ये कोई वायरस था और तो और रात भर होने वाली बरसात भी सुबह बंद हो जाती थी!
अगर आप दुनिया भर का दुःख दर्द जानना चाहते हो तो उन लोगों से बात करके देखें... . . . जिनको आप ने उधार दे रखा हो!
कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि ये दौलत ये शोहरत सब ऐश-ओ-आराम त्याग कर सन्यासी बन जाऊँ! बस एक बार ये सब मिल जाये फिर आगे देखता हूँ!