अब तो अपनी तबियत भी कुछ जुदा सी लगती है

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अब तो अपनी तबियत भी कुछ जुदा सी लगती है
सांस लेता हूँ तो ज़ख्मों को हवा सी लगती है
कभी राज़ी तो कभी मुझसे खफा सी लगती है
ज़िंदगी तु ही बता कि तु मेरी क्या लगती है

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