देखा है ज़िन्दगी को कुछ इतना करीब से

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देखा है ज़िन्दगी को कुछ इतना करीब से, कि चेहरे तमाम लगने लगे हैं अजीब से
इस रेंगती हयात का कब तक उठाएं भार, बीमार अब उलझने लगे हैं तबीब से
कुछ इस तरह दिया है ज़िन्दगी ने हमारा साथ जैसे कोई निभा रहा हो रकीब से
ए रूह-ए-असर जाग कहाँ सो रही है तू, आवाज़ दे रहे हैं पयम्बर सलीब से

This is a great ज़िन्दगी और मौत शायरी. If you like तुम्हे देखा शायरी then you will love this. Many people like it for इतना प्यार शायरी. Share it to spread the love.

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