कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में

SHARE

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में
कि हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं मिरी जबीन-ए-नियाज़ में

This is a great नज़र अंदाज़ शायरी. If you like तिरछी नज़र शायरी then you will love this. Many people like it for एक नज़र शायरी.

SHARE