क्यों जुड़ता है तू इस जहान से

SHARE

क्यों जुड़ता है तू इस जहान से
एक दिन ये गुज़र ही जायेगा
चाहे कितना भी समेट ले तू इस जहान को
मुट्ठी से तो एक दिन फिसल ही जायेगा

SHARE