हम भटकते रहे थे अनजान राहों में

SHARE

हम भटकते रहे थे अनजान राहों में
रात दिन काट रहे थे यूँ ही बस आहों में
अब तम्मना हुई है फिर से जीने की हमें
कुछ तो बात है सनम तेरी इस निगाहों में

This is a great अनजान शायरी हिंदी.

SHARE