सामने मंज़िल थी और पीछे उसका वजूद

SHARE

सामने मंज़िल थी और पीछे उसका वजूद, क्या करते हम भी यारों
रुकते तो सफर रह जाता, चलते तो हमसफ़र रह जाता

This is a great मेरा वजूद शायरी. If you like वजूद पर शायरी then you will love this. Many people like it for वजूद शायरी हिंदी. Share it to spread the love.

SHARE