तेरे दर से उठकर

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तेरे दर से उठकर..
तेरे दर से उठकर जिधर जाऊं मैं
चलूँ दो कदम और ठहर जाऊं मैं
अगर तू ख़फा हो तो परवा नहीं
तेरा गम ख़फा हो तो मर जाऊं मैं
तब्बसुम ने इतना डसा है मुझे
कली मुस्कुराए तो डर जाऊं मैं
सम्भाले तो हूँ खुदको, तुझ बिन मगर;
जो छू ले कोई तो बिखर जाऊं मैं

This is a great तेरे आंसू शायरी. If you like तेरे ख्वाब शायरी then you will love this. Many people like it for तेरे नैना शायरी. Share it to spread the love.

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