आया ही था ख्याल कि आँखें छलक पड़ींआया ही था ख्याल कि आँखें छलक पड़ींआँसू किसी की याद के कितने करीब हैं
अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए
अब आ गए हैं आप तो आता नहीं है यादअब आ गए हैं आप तो आता नहीं है यादवर्ना कुछ हम को आप से कहना ज़रूर था
रहता है इबादत में हमें मौत का खटकारहता है इबादत में हमें मौत का खटकाहम याद-ए-ख़ुदा करते हैं कर ले न ख़ुदा याद