ज़माने पर शायरी

​क्यूँ तबीअत कहीं​

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वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का ग़म

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फ़ुरसत-ए-कार फ़क़त

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वफ़ाएँ कर के जफ़ाओं का

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हर चीज़ ज़माने की जहाँ पर थी वहीं है

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तुम करोगे याद एक दिन इस प्यार के ज़माने को

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