आजकल की मम्मियो का अपने बच्चो से "आप आप " करके बातें करना भी, एक नकलीपन का सा ऐहसास देता है।असली प्यार तो वो होता था जब माँ की एक बात का जवाब नहीं देते थे तो हवा में लहराती हुई "चप्पल"आकर सीधी मुँह पर लगती थी। वो होता था असली प्यार बाकी सब तो दुनियादारी है।
कसम से उस समय ऐसा लगता है कि बस धरती फट जाये और मैं उसमें समा जाऊँ, जब पत्नी कहती है, "एक मैं ही मिल गयी हूँ, आपको सीधी-सादी"।
पठान 1: अगर दुनिया में लाइट न होती तो हम टी.वी. कैसे देखते? पठान 2: अरे सीधी सी बात है, मोमबत्ती जला कर!
अगर घी सीधी ऊंगली से ना निकले तो... . . . . . . . . घी गरम कर लें। हर बात में ऊंगली करना अच्छी बात नहीं। ~ चाणक्य का रसोईया