पप्पू बोला: तुझमें रब दिखता यारा मैं क्या करूँ? लड़की बोली: दर्शन कर, प्रसाद खा, पूजा कर और आगे निकल बच्चे। और भी भक्त खड़े हैं लाइन लगाकर।
पत्नी क्या है? पत्नी मंदिर के प्रसाद के जैसी होती है! जिसमे चाहते हुये भी कोई नुक्स नहीं निकाल सकते! श्रद्धा और मज़बूरी के साथ चुपचाप स्वीकार करो!
बंता टैक्सी ड्राईवर से बोला, "सिद्धिविनायक मंदिर जाओगे क्या?" टैक्सी ड्राईवर: हाँ साहब जाऊँगा। बंता: ठीक है, वापसी में मेरे लिए प्रसाद लेते आना।
संता (टैक्सी ड्राईवर से): सिद्धिविनायक मंदिर जाओगे क्या? टैक्सी ड्राईवर: हाँ साहब जाऊँगा। संता: ठीक है, वापसी में मेरे लिए प्रसाद लेते आना।
बहुत सुन्दर शब्द जो एक मंदिर के दरवाज़े पर लिखे थे : सेवा करनी है तो, घड़ी मत देखो ! प्रसाद लेना है तो, स्वाद मत देखो ! सत्संग सुनाना है तो, जगह मत देखो ! बिनती करनी है तो, स्वार्थ मत देखो ! समर्पण करना है तो, खर्चा मत देखो ! रहमत देखनी है तो, जरूरत मत देखो !!