इक बेवफ़ा में रुह-ए-वफ़ा ढूंढ़ते रहे:

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इक बेवफ़ा में रुह-ए-वफ़ा ढूंढ़ते रहे
इक बेवफ़ा में रुह-ए-वफ़ा ढूंढ़ते रहे
शोलों की बारिशों में सबा ढूंढ़ते रहे
वो ढूंढ़ते हैं दिल को दुखाने का सिलसिला
उनकी ख़ुशी में हम तो मज़ा ढूंढ़ते रहे
वो हैं कि मुस्कुरा रहे हैं चीर के जिगर
हम हैं कि यार खुद की ख़ता ढूंढ़ते रहे
घबरा के देखते कभी आकाश की तरफ
रुख़सत हुई ख़ुशी का पता ढूंढ़ते रहे
ठहरी हुई नदी में भरे जो रवानगी
शिद्दत से रात दिन वो अदा ढूंढ़ते रहे

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