वो मुझसे मेरी खामोशी

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वो मुझसे मेरी खामोशी..
वो मुझसे मेरी खामोशी की वजह पूछता है
कितना पागल है रात के सनाटे की वजह पूछता है
वो मुझसे मेरे आँसू की वजह पूछता है
कितना पागल है बारिश के बरसने की वजह पूछता है
वो मुझसे मेरी मोहब्बत के बारे में पूछता है
कितना पागल है खुद अपने बारे में पूछता है
वो मुझसे मेरी वफ़ा की इंतेहा पूछता है
कितना पागल है साहिल पे रह कर, समुद्र की गहराई पूछता है

This is a great खामोशी की शायरी. If you like मेरी जिंदगी शायरी then you will love this. Many people like it for मेरी जिन्दगी शायरी.

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