देखा तो था यूं ही

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देखा तो था यूं ही..
देखा तो था यूं ही किसी ग़फ़लत-शिआर ने
दीवाना कर दिया दिल-ए-बेइख़्तियार ने
ऐ आरज़ू के धुंधले ख्वाबों जवाब दो
फिर किसकी याद आई थी मुझको पुकारने
तुमको ख़बर नहीं मगर इक सादालौह को
बर्बाद कर दिया तेरे दो दिन के प्यार ने
मैं और तुमसे तर्क-ए-मोहब्बत की आरज़ू
दीवाना कर दिया है ग़म-ए-रोज़गार ने
अब ऐ दिल-ए-तबाह तेरा क्या ख्याल है
हम तो चले थे काकुल-ए-गेती सँवारने

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