बदन पे जिस के शराफ़तबदन पे जिस के शराफ़त का पैरहन देखावो आदमी भी यहाँ हम ने बद-चलन देखाख़रीदने को जिसे कम थी दौलत-ए-दुनियाकिसी कबीर की मुट्ठी में वो रतन देखामुझे मिला है वहाँ अपना ही बदन ज़ख़्मीकहीं जो तीर से घायल कोई हिरन देखाबड़ा न छोटा कोई फ़र्क़ बस नज़र का हैसभी पे चलते समय एक सा कफ़न देखाज़ुबाँ है और बयाँ और उस का मतलब औरअजीब आज की दुनिया का व्याकरन देखालुटेरे डाकू भी अपने पे नाज़ करने लगेउन्होंने आज जो संतों का आचरन देखाजो सादगी है कुहन में हमारे मेंकिसी पे और भी क्या ऐसा बाँकपन देखा