निकले हम कहाँ से और किधर निकले

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निकले हम कहाँ से और किधर निकले
हर मोड़ पे चौंकाए ऐसा अपना सफ़र निकले
तूने समझाया क्या रो-रो के अपनी बात
तेरे हमदर्द भी लेकिन बड़े बे-असर निकले

This is a great कहाँ हो तुम शायरी. If you like कहाँ हो शायरी then you will love this.

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