राहत-ए-जाँ से तो:

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राहत-ए-जाँ से तो
राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का बवाल अच्छा है
उसने पूछा तो है इतना तेरा हाल अच्छा है
माह अच्छा है बहुत ही न ये साल अच्छा है
फिर भी हर एक से कहता हूँ कि हाल अच्छा है
तेरे आने से कोई होश रहे या न रहे
अब तलक तो तेरे बीमार का हाल अच्छा है
आओ फिर दिल के समंदर की तरफ़ लौट चलें
वही पानी, वही मछली, वही जाल अच्छा है
कोई दीनार न दिरहम न रियाल अच्छा है
जो ज़रूरत में हो मौजूद वो माल अच्छा है
क्यों परखते हो सवालों से जवाबों को
होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है

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