किसी के बाप का

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किसी के बाप का..
अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो भगवान थोडे ही है
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोडे ही है
लगेगी आग तो आएँगे घर कई लपेट में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोडे ही है
मैं जानता हूँ के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरह हथेली पे उनकी जान थोडे ही है
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुँह में तुम्हारी ज़ुबान थोडे ही है
जो आज मालिक बने बैठे हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोडे ही है
सभी का ख़ून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोडे ही है

This is a great किसी की चाहत शायरी.

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