​​​दम लबों पर था​

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​​​दम लबों पर था​..
​दम लबों पर था​, दिलेज़ार के घबराने से​;
आ गई है जाँ में जाँ​, आपके आ जाने से;
​​तेरा कूचा न छूटेगा​, तेरे दीवाने से​
उस को काबे से न मतलब है​, न बुतख़ाने से​
.
शेख़ नाफ़ह्म हैं​, करते जो नहीं​, क़द्र उसकी​
दिल फ़रिश्तों के मिले हैं​, तेरे दीवानों से​
​मैं जो कहता हूँ​, कि मरता हूँ​, तो फ़रमाते हैं​
​कारे-दुनिया न रुकेगा​, तेरे मर जाने से​

This is a great लबों पर शायरी.

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