गाओ सखी होकर मगन आया है बसंत

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गाओ सखी होकर मगन आया है बसंत,
राजा है ये ऋतुओं का आनंद है अनंत;
पीत सोन वस्त्रों से सजी है आज धरती,
आंचल में अपने सौंधी-सौंधी गंध भरती;
तुम भी सखी पीत परिधानों में लजाना,
नृत्य करके होकर मगन प्रियतम को रिझाना;
सीख लो इस ऋतु में क्या है प्रेम मंत्र
गाओ सखी होकर मगन आया है बसंत।
बसंत पंचमी की शुभ कामनायें!

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