परिंदों को मिलेगी मंज़िल यक़ीनन

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परिंदों को मिलेगी मंज़िल यक़ीनन, ये फैले हुए उनके पर बोलते हैं;
वो लोग रहते हैं खामोश अक्सर, ज़माने में जिनके हुनर बोलते हैं।

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