कभी कभी तो लगता है कि ये दौलत

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कभी कभी तो लगता है कि ये दौलत, ये शोहरत, तमाम ऐश-ओ-आराम त्याग कर सन्यास ही ले लूँ। फिर ख्याल आता है कि...
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पहले ये सब मिलें तो सही।

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