दुआ मांगी थी आशियाने की SHARE FacebookTwitter दुआ मांगी थी आशियाने कीचल पड़ी आंधियाँ जमाने कीमेरा गम कोई नही समझ पायाक्योंकि मेरी आदत थी मुस्कुराने की SHARE FacebookTwitter
तेरे हाथ की काश मैं वो लकीर बन जाऊं; काश मैं तेरा मुक़द्दर तेरी तक़दीर बन जाऊं; मैं तुम्हें इतना चाहूँ कि तुम भूल जाओ हर रिश्ता; सिर्फ मैं ही तुम्हारे हर रिश्ते की तस्वीर बन जाऊं; तु.......Read Full Shayari