अपनी आँखों के समुंदर में उतर जाने देतेरा मुज़रिम हूँ, मुझे डूब के मर जाने देज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझकोसोचता हूँ कहूँ तुझसे,मगर जाने दे
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