खामोश हो क्यों..खामोश हो क्यों दादे-जफ़ा क्यों नहीं देतेबिस्मिल हो, तो कातिल को दुआ क्यों नहीं देतेवहशत का सबब रौज़ने-जिनदाँ तो नहीं हैमहरो-महो-अंजुम को बुझा क्यों नहीं देतेइक ये भी तो अंदाज़े-इलाजे-गमे-जाँ हैऐ चारागरो दर्द बढ़ा क्यों नहीं देतेमुंसिफ हो अगर तुम तो कब इन्साफ करोगेमुजरिम हैं अगर हम तो सज़ा क्यों नहीं देतेरह्ज़न हो तो हाजिर है मताए-दिलो-जाँ भीरहबर हो तो मंजिल का पता क्यों नहीं देते
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