इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए

SHARE

इस बार उन से मिल के जुदा हम जो हो गए
उन की सहेलियों के भी आँचल भिगो गए
चौराहों का तो हुस्न बढ़ा शहर के मगर
जो लोग नामवर थे वो पत्थर के हो गए

This is a great जुदा होना शायरी.

SHARE