कोई मुझ सा मुस्तहके़-रहमो-ग़मख़्वारी नहींसौ मरज़ है और बज़ाहिर कोई बीमारी नहीइश्क़ की नाकामियों ने इस तरह खींचा है तूलमेरे ग़मख़्वारों को अब चाराये-ग़मख़्वारी नही
This is a great मेरे अपने शायरी. If you like मेरे अश्क शायरी then you will love this. Many people like it for मेरे अहसास शायरी.