सरहदें तोड़ के आ ज़ाती है किसी पंछी की तरह SHARE FacebookTwitter सरहदें तोड़ के आ ज़ाती है किसी पंछी की तरहयह तेरी याद है जो बंटती नहीं मुल्कों की तरहMore SHARE FacebookTwitter Tagsयाद शायरी दो लाइन