जहाँ में हाल मेरा..जहाँ में हाल मेरा इस क़दर ज़बून हुआकि मुझ को देख के बिस्मिल को भी सुकून हुआग़रीब दिल ने बहुत आरज़ूएँ पैदा कींमगर नसीब का लिक्खा कि सब का ख़ून हुआवो अपने हुस्न से वाक़िफ़ मैं अपनी अक़्ल से सैरउन्हों ने होश सँभाला मुझे जुनून हुआउम्मीद-ए-चश्म-ए-मुरव्वत कहाँ रही बाक़ीज़रिया बातों का जब सिर्फ़ टेलीफ़ोन हुआनिगाह-ए-गर्म क्रिसमस में भी रही हम परहमारे हक़ में दिसम्बर भी माह-ए-जून हुआ
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