दिल को अब यूँ

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दिल को अब यूँ..
दिल को अब यूँ तेरी हर एक अदा लगती है
जिस तरह नशे की हालत में हवा लगती है
रतजगे खवाब परेशाँ से कहीं बेहतर हैं
लरज़ उठता हूँ अगर आँख ज़रा लगती है
ऐ, रगे-जाँ के मकीं तू भी कभी गौर से सुन
दिल की धडकन तेरे कदमों की सदा लगती है
गो दुखी दिल को हमने बचाया फिर भी
जिस जगह जखम हो वाँ चोट लगती है
शाखे-उममीद पे खिलते हैं तलब के गुनचे
या किसी शोख के हाथों में हिना लगती है
तेरा कहना कि हमें रौनके महफिल में "फराज़"
गो तसलली है मगर बात खुदा लगती है

This is a great तेरी आँखे शायरी. If you like तेरे आंसू शायरी then you will love this. Many people like it for खुदा की इबादत शायरी.

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