राज़े-उल्फ़त छुपा के....राज़े-उल्फ़त छुपा के देख लियादिल बहुत कुछ, जला के देख लियाऔर क्या देखने को बाक़ी है; आप से दिल, लगा के देख लिया;वो मिरे हो के भी मेरे न हुएउनको अपना, बना के देख लिया;.आज उनकी नज़र में कुछ हमनेसबकी नज़रें बचा के, देख लिया;.आस उस दर से, टूटती ही नहीं;जा के देखा, न जा के देख लिया;.'फ़ैज़' तक़्मील-ए-ग़म भी हो न सकी;इश्क़ को आज़मा के, देख लिया
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