हर ज़ख़्म किसी ठोकर की मेहरबानी है

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हर ज़ख़्म किसी ठोकर की मेहरबानी है
मेरी ज़िंदगी की बस यही एक कहानी है
मिटा देते सनम के हर दर्द को सीने से
पर ये दर्द ही तो उसकी आखिरी निशानी है

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