जनाजा मेरा उठ रहा था

SHARE

जनाजा मेरा उठ रहा था
फिर भी तकलीफ थी उसे आने में
बेवफा घर में बैठी पूछ रही थी
और कितनी देर है दफनाने में

This is a great मेरा बचपन शायरी. If you like मेरा नसीब शायरी then you will love this. Many people like it for मेरा गाँव शायरी. Share it to spread the love.

SHARE