रौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गया SHARE FacebookTwitter रौशनी को तीरगी का क़हर बन कर ले गयाआँख में महफ़ूज़ थे जितने भी मंज़र ले गया* तीरगी- अँधेर SHARE FacebookTwitter