दुआ मांगी थी आशियाने की

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दुआ मांगी थी आशियाने की
चल पड़ी आँधियाँ ज़माने की
मेरा दर्द कोई नहीं समझ पाया
क्योंकि मेरी आदत थी माफ़ करके मुस्कुराने की

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