दुआ मांगी थी आशियाने की SHARE FacebookTwitter दुआ मांगी थी आशियाने कीचल पड़ी आँधियाँ ज़माने कीमेरा दर्द कोई नहीं समझ पायाक्योंकि मेरी आदत थी माफ़ करके मुस्कुराने की SHARE FacebookTwitter