देर मैंने ही लगाई पहचानने में ऐ भगवान

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देर मैंने ही लगाई पहचानने में ऐ भगवान,
वरना तुमने जो दिया उसका तो कोई हिसाब ही नहीं;
जैसे जैसे मैं सिर को झुकाता चला गया,
वैसे वैसे तू मुझे उठाता चला गया।
सुप्रभात!

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