सुनै गुंग जो याहि सु रसना पावई ॥ सुनै मूड़्ह चित लाइ चतुरता आवई ॥

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सुनै गुंग जो याहि सु रसना पावई ॥ सुनै मूड़्ह चित लाइ चतुरता आवई ॥
दूख दरद भौ निकट न तिन नर के रहै ॥ हो जो याकी एक बार चौपई को कहै ॥४०४॥

शब्दार्थ:
यहाँ गुरु जी कह रहे हैं कि अगर
मूक प्राणी जो बाणी को सुनेगा बोलने लग जायेगा, मूर्ख भी बुद्धिमान हो जायेगा।
एक बार जो चौपाई को पढ़ेगा, उसके निकट कभी दुःख दर्द नहीं रहेगा।
आप सब को गुरु गोबिंद सिंह के प्रकाश उत्स्व की हार्दिक बधाई!

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