एक सुकून की तालाश में ना जाने कितनी बेचैनियाँ पाल लीं SHARE FacebookTwitter एक सुकून की तालाश में ना जाने कितनी बेचैनियाँ पाल लीं, और लोग कहते हैं, हम बड़े हो गये और हमने ज़िन्दगी संभाल ली।More SHARE FacebookTwitter
हर खेल में साथी थे, हर रिश्ता निभाना था; गम की जुबान ना होती थी, ना ज़ख्मों का पैमाना था;.......Read Full Message
चाचा नेहरू तुझे सलाम; अमन शांति का दे पैगाम; जग को जंग से तूने बचाया; हम बच्चों को.......Read Full Message