तक

SHARE

तक
ाज़ा वफ़ा का हबीबों से कम रखता हूँ हर वक़्त फ़ना होने का मै दम रखता हूँ मेरे अपने ही होंगें ख़ाक करने को मुझे फिर भी पहलु में दोस्ती का भरम रखता हूँ

SHARE