हाल-ऐ-बिस्मिल अब न पूछ 'दोस्त'

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हाल-ऐ-बिस्मिल अब न पूछ 'दोस्त', लुफ्त-ऐ-कत्ल है, नाम कातिल का न पूछ.. ..... बे-जान जिस्मको अब क्या संवारू 'दोस्त', लरजते होंठो पे नाम तेरा आए, यूं न पूछ...

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