इन बादलों का मिज़ाज खूब मिलता है मेरे अपनों से SHARE FacebookTwitter इन बादलों का मिज़ाज खूब मिलता है मेरे अपनों से; कभी टूट के बरस जाते हैं; तो कभी बे-रुखी से गुजर जाते हैं। सुप्रभात! More SHARE FacebookTwitter