निगाहों में मंज़िल थी SHARE FacebookTwitter निगाहों में मंज़िल थी; गिरे और गिर कर संभलते रहे; हवाओं ने बहुत कोशिश की; मगर चिराग आंधियों में भी जलते रहे।More SHARE FacebookTwitter
हर एक महान सपने की शुरुआत एक स्वप्नद्रष्टा से होती है। हमेशा याद रखिये, आपके अन्दर व.......Read Full Message