कोई खुशियों की चाह में रोया SHARE FacebookTwitter कोई खुशियों की चाह में रोया; कोई दुखों की पनाह में रोया; अजीब सिलसिला है ये ज़िंदगी का; कोई भरोसे के लिए रोया, कोई भरोसा करके रोया। SHARE FacebookTwitter