जो तो प्रेम खेलन का चाव

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जो तो प्रेम खेलन का चाव;
सिर धर तली गली मेरी आओ।
कलगीधर पातशाह श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के गुरपुरब की मंगल कामनाएं!

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