एक सुकून की तालाश में ना जाने कितनी बेचैनियाँ पाल लीं

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एक सुकून की तालाश में ना जाने कितनी बेचैनियाँ पाल लीं,
और लोग कहते हैं, हम बड़े हो गये और हमने ज़िन्दगी संभाल ली।

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