लौट के उसी दो राहे परलौट के उसी दो राहे पर...लौट के उसी दो राहे पर बार-बार पहुँचामैं कहीं भी पहुंचा बस बेकार पहुंचासारी रात गुज़ार दी चंद लफ़्ज़ों के साथमेरे सवाल से पहले उनका इनकार पहुँचामैं कहीं भी..रूह की गहराईयों में राह तकती आंखेंजहाँ तू नहीं पहुँचा वहाँ इंतज़ार पहुँचामैं कहीं भी..होश न आया फिर होश जाने के बादमैं गया किधर भी मगर कूचा ए यार पहुँचामैं कहीं भी..डूब के जाना है ये तो मालूम था 'वीर'नज़र नहीं आता जहाँ कोई मैं उस पार पहुँचामैं कहीं भी...
दुःख देकर सवालदुःख देकर सवाल..दुःख देकर सवाल करते होतुम भी जानम! कमाल करते होदेख कर पूछ लिया हाल मेराचलो कुछ तो ख्याल करते होशहर-ए दिल में ये उदासियाँ कैसीये भी मुझसे सवाल करते होमरना चाहें तो मर नहीं सकतेतुम भी जीना मुहाल करते होअब किस-किस की मिसाल दूँ तुम कोहर सितम बे-मिसाल करते हो
उन्हें सवाल ही लगता हैउन्हें सवाल ही लगता है..उन्हें सवाल ही लगता है मेरा रोना भीअजब सज़ा है जहाँ में ग़रीब होना भीये रात भी है ओढ़ना-बिछौना भीइस एक रात में है जागना भी सोना भीअजीब शहर है कि घर भी रास्तों की तरहकैसा नसीब है रातों को छुप के रोना भीखुले में सोएँगे मोतिया के फूलों सेसजा लो ज़ुल्फ़ बसा लो ज़रा बिछौना भी'अज़ीज़' कैसी यह सौदागरों की बस्ती हैगराँ है दिल से यहाँ काठ का खिलौना भी
दुख देकर सवाल करते होदुख देकर सवाल करते होतुम भी गालिब, कमाल करते होदेख कर पुछ लिया हाल मेराचलो इतना तो ख्याल करते होशहर-ए-दिल मेँ उदासियाँ कैसीये भी मुझसे सवाल करते होमरना चाहे तो मर नही सकतेतुम भी जीना मुहाल करते होअब किस-किस की मिसाल दूँ तुमकोतुम हर सितम बेमिसाल करते हो
कहने वालों का कुछ नहीं जाताकहने वालों का कुछ नहीं जातासहने वाले कमाल करते हैंकौन ढूंढें जवाब दर्दों के;लोग तो बस सवाल करते है
न सवाल बनकर मिला करोन सवाल बनकर मिला करोन जवाब बनकर मिला करोमेरी ज़िन्दगी मेरे ख्वाब हैंमुझे ख्वाब बनकर मिला करो