ऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिलेऐसा नहीं के तेरे बाद अहल-ए-करम नहीं मिलेतुझ सा नहीं मिला कोई, लोग तो कम नहीं मिलेएक तेरी जुदाई के दर्द की बात और हैजिन को न सह सके ये दिल, ऐसे तो गम नहीं मिले
दर्द-ए-दिल कम ना होगा ऐ सनमदर्द-ए-दिल कम ना होगा ऐ सनमआपकी महफ़िल से जाने के बादनाम बदनाम हमारा होगाआपकी ज़िन्दगी से जाने के बाद
नशे में भी तेरा ही नाम लबों पर आता हैनशे में भी तेरा ही नाम लबों पर आता हैचलते हुए मेरे पाँव लड़खड़ाते हैंएक टीस सी उठती है दिल में मेरेजब भी तेरा दिया हुआ दर्द याद आता है
वो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहींवो नाराज़ हैं हमसे कि हम कुछ लिखते नहींकहाँ से लाएं लफ्ज़ जब हमको मिलते नहींदर्द की ज़ुबान होती तो बता देते शायदवो ज़ख्म कैसे दिखाए जो दिखते नहीं